17 August 2009

महाराष्ट्र मेरी जान

आप इसे एक हिंदी भाषी इलाके के आदमी की दिल की भडास मान सकते हैं....
लेकिन यह कुछ और नहीं बस एक क्षण है..एक ऐसा क्षण जो कभी भी कही भी किसी के साथ भी घट सकता है..
किसी के कैमरे में कैद हो जा सकता है...या कही सीधे प्रसारित भी किया जा सकता है....
ऐसा ही क्षण आया अभी हिंदी कहानीकार,कवी, उदय प्रकाश की जिंदगी में....
किसी ने ऐसे ही किसी मौके की तस्वीर निकाल ली और ब्लॉग पर डाल दिया..उसके बाद जो हुआ आप में से बहुतों को पता है...लेकिन इस तस्वीर को देख कर अगर महाराष्ट्र को कोई बन्दर कह दे तो गलती महाराष्ट्र की तो नहीं ही बतायी जा सकती...वैसे यह साम्य यहाँ पूरी तरह नहीं जँच रहा क्यूकि उदयप्रकाश एक निर्जीव साइन बोर्ड तो कतई नहीं हैं...उनके कंधे पर तो एक लगातार सोचने वाला जागरूक सर मौजूद है....तो फिर क्या माना जाए....आदमी कभी साइन बोर्ड बन जाता है...और बन्दर उसके कंधे पर बिना उसकी जानकारी के बैठ जाता है...हाँ ऐसे क्षण से बचने के लिए यह जरूरी है की उस समय कोई कैमरा वहाँ तस्वीर निकालने के लिए मौजूद ना हो....

1 comment:

  1. सच कहा आपने ....अच्छा लिखा..शुभकामनाऎ

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